मैंने तुम्हें पुकारा इतना Main tumhe pukara itna
मैंने तुम्हें पुकारा इतना रात सुबह फिर शाम हो गई। तुम निष्ठुर निर्मोही निकले पीर प्रेम कि तुम ना जानी। मेरे नयन तरसते…
मैंने तुम्हें पुकारा इतना रात सुबह फिर शाम हो गई। तुम निष्ठुर निर्मोही निकले पीर प्रेम कि तुम ना जानी। मेरे नयन तरसते…
यदि इंसान अपनी सोच अपने इच्छा शक्ति से बढ़े साड़ी कठिनाइयों को अपने बीच में समेट कर चलना चाहे तो उनकी इच्छाओं की सीमाओं…
अधिकांश लोग अपने चेहतो को अपनी नजदीकी रिश्तो में अपनी कमजोरियों को उजागर कर देते हैं। जो उन्हें बाद में महंगी पड़ सकती …
इक्षा आशा अपेक्षा आकांक्षा यही सब मानव समाज के चालक होते हैं। या नहीं यदि कोई आपसे पूछे कि आप कौन हो तो आप का उत्तर क्य…
क्रोध बेर प्रतिशोध यही सब आने वाली पीढ़ी की धरोहर बनते हैं । पूर्वजों की इच्छा आशा महत्वाकांक्षा माता-पिता अपनी संतान…
मनुष्य के हृदय में भय का साम्राज्य रहता सदा कभी संपत्ति की नास का भय कभी अपमान का भय कभी अपनों से छूट जाने का भय इसीलि…
जगत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी प्रकार का निर्बलता अवश्य होती है जैसे कोई बहुत तेजी से दौड़ नहीं पाता तो कोई…
इतनी पीड़ा क्यों दी मुझको जीवन रेगिस्तान हो गया । अधरो ने स्मृति भी भूली नयनो का चंचल मन भूला तेरे नागफनी से मेरा दि…
मैं दर्पण जो भी चाहे देखें अपना चेहरा जो जैसा है दिखाता वैसा जिसका जैसा सेहरा, मुझको तू गंदा ना कर दे बिगड़ेगी तेरी…
कब कटेगी बेड़ियां इन सुकोमल पांव की अनपढ़ है बेटियां आज भी मेरे गांव की। चूल्हा चौका ही रहा है आज तक इनकी कहानी कंठ तक…
र्वत श्रृंगों पर पंख फैलाकर घूमर घूमर चले बदरिया चम चम चमके दामनी घनन-घनन गर्जत मेघ इठला उठी रहित वस्त्र धड़ा छमा…
मैं औरत ना जाने कितने युगों से चलती रही खामोश नंगे पांव सुलगती रेत पर मैं औरत लादे रही बोझ की तरह अनुचित शब्दों की गठर…
सच तो आखिर सच होता है तू क्यों आज इरादा होता है। सदमे तो सहने ही तो पड़ेंगे इम्तिहान देने ही पड़ेंगे। दर्द दिल में त…
नर बिना नारी नहीं और नारी के बिना नर नहीं बात समझ में आ जाए तो हमको किसी का डर नहीं। लड़का लड़की में फर्क जो समझे वह सम…