निर्बलता Nirbalta



जगत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी प्रकार का 

निर्बलता अवश्य होती है जैसे कोई बहुत तेजी से दौड़ 

नहीं पाता तो कोई अधिक भार नहीं उठा पाता कोई

असाध्य रोग से पीड़ित रहता है तो कोई पढ़ें हुए पाठकों 

को स्मरण में नहीं रख पाता। ऐसे अनेकों उदाहरण और 

भी है। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं ।

जिसे सब कुछ प्राप्त हो हम जीवन की

एक निर्मलता को जीवन का केंद्र मान लेते हैं 

और जीते हैं इस कारणवश हृदय में दुख और 

असंतोष रहता है सदा निर्मलता मनुष्य को 

जन्म से अथवा संयोग से प्राप्त होती है 

किंतु उस निर्मलता को मनुष्य का मन 

अपनी मर्यादा बना लेती है किंतु कुछ

व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अपने पुरुषार्थ और शर्म से 

उस निर्बलता को पराजित कर देता है। 

क्या  भेद है उन मैं और अन्य लोगों में 

क्या आपने कभी विचार किया है ।

सरल सा उत्तर है इसका

जो व्यक्ति निर्मलता से पराजित नहीं होता

जो पुरुषार्थ करने का साहस रखता है 

ह्रदय में वह निर्बलता को पार कर जाता है 

अर्थात निर्बलता अवश्य ही ईश्वर देता है 

किंतु मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्गत करता है ।






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