इक्षा इंसान की महत्वाकांक्षा ichcha Insan ki mahatvakansha




इक्षा आशा अपेक्षा आकांक्षा यही सब मानव समाज के चालक होते हैं।
या नहीं यदि कोई आपसे पूछे कि आप कौन हो तो आप का उत्तर क्या होगा ।
विचार कीजिए और आप तुरंत ही जान पाएंगे आपकी इच्छाएं ही आपकी जीवन की व्याख्या है।
कुछ पाने से मिली सफलता कुछ ना पाने से मिली निष्फलता ही आपका परिचय है ।
अधिकतर लोग कैसे जीते हैं किंग भीतर से मरते रहते हैं किंतु अपनी इच्छाओं को नहीं मार पाते इच्छा उन्हें दौड़ आती है इस प्रकार एक मृग दूसरे मृग को दौड़ाती है ।
परंतु इन इच्छाओं के गर्भ से ज्ञान का प्रकाश भी है।
कैसे जब इच्छाएं अपूर्ण रहती है और टूटती है तभी वहीं से ज्ञान की किरण प्रवेश करती है ।
मनुष्य के हृदय में ना यह कथा नहीं केवल छांव की 
संघर्ष की नहीं है केवल को जन्म देने वाले इस बात की जांच से इंसान हैं अपने जीवन को सार्थकता से जीने के लिए दृढ़ निश्चय संकल्प और समर्पित सुविचार से अपने अंदर शामिल कर पाते हैं ।
वही अपनी इच्छाओं को अपनी मर्यादाओं को अपनी संस्कारों को अपने हितों में रक्त जीवन के इस काल चक्र को पूरा करने में सक्षम हो पाता है ।
वही एक इच्छा और आशा अपेक्षा मनुष्य की धरोहर बनती है।
यह तो मां है इच्छाओं के गर्व से उदित होते हुए ज्ञान की प्रकाश किरणों की उन सभी नियंत्रण में रहने वाले भूखंड निवासी जो प्रज्वलित रहते हैं।
और प्रकाश उनका संरक्षण करता रहता है जान उनके जीवन की आशाओं से पढ़े एक महत्वकांक्षी आओ की गति सीमाओं से चलकर आती है जिसे उनकी इच्छाएं पर दौड़ाती रहती है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ